कहाँ से शुरू करूँ और कहाँ से ख़त्म....कौन सा किस्सा सुना दूं औ किसे छोड़ दूं ...इसी उधेड़बुन में ये पोस्ट लिखी जायेगी।
आज मोहब्बत की बात करते हैं। ना जाने कैसे लोग कहते हैं क़ि एक बार होती हैं हमें तो बहुत बार हुई ....उम्मीद हैं बदस्तूर ये सिलसिला जारी रहेगा .....और जारी भी रहना चाहिए क्योकि दिल तो बच्चा है जी और इश्क कमीना।
अपनी तो किस्मत ही ख़राब हैं जी जब फोर्थ स्टैण्डर्ड में थी तो पी० टी० टीचर पे दिल आ गया ....और अब गुलज़ार साब पे ....कभी बराबर वाले के साथ मैच ही नहीं मिला :-) पिछले सारे क़िस्से फिर कभी और आज तो लेटेस्ट मोहब्बत की कहानी ही बयां करते हैं। आजकल हमारे प्रिन्स चार्मिंग हैं गुलज़ार साब......अरे पूछिए मत क़ि उनकी किस अदा से प्यार नहीं है हमको .....उनकी कलम पर हम क्या हमारी आने वाली पीढियां कुर्बान .......कसम से... फैन, ए.सी, कूलर तो बहुत पुरानी बातें हो चुकी ......हम तो कुछ और ही हैं जी :-) वो उनका व्हाइट कलर का छोटा सा ऊंचा कुर्ता- अलीगढ पैजामा , अधकचरी दाढ़ी, सर पर सुफैद हल्के करीने से कंघी किये बाल, चौड़ा माथा और वो आखो पे चश्मा जिसपे हम कुर्बान........बस यही खत्म नहीं होता उनका अंदाज़ ....आगे देखिये .....चलते- चलते उनका हाथो को पीछे की तरफ बाँध लेना, बात करते-करते आस्तीनों को मोड़ना और तो और औटोग्राफ देते हुए स्पेक्टकल की आर्म्स को दांतों से दबा लेना .......बस! इस अदा पर किसी और को क़त्ल होने की ज़रुरत नहीं ....हम हैं ना।
वो क्या ना बीच में हमारे बीच कुछ डिस्प्यूट्स हो गए थे अरे इब्नबतूता को लेकर .......थोड़े नाराज़ हो गए थे हम .....सर्वेश्वर जी के फेवर में खड़े हो गए थे.....हमने भी साफ़ -साफ़ बोल दिया के आपके दीवाने हैं पागल नहीं.....लेकिन अब सुलह हो गई हैं हमारे बीच ......सच्ची मोहब्बत में डिस्टेंस कैसा :-) सो फ़िक्र नॉट .......ऐवरीथिंग इस गोइंग ऑन नोर्मल।
किसी ने दो सौ सफहों में लिखी अपनी आत्मकथा
जब वो साठ बरस का था
गुलज़ार ने महज़ तीन लाइन में उम्र गुजार दी।
जब वो साठ बरस का था
गुलज़ार ने महज़ तीन लाइन में उम्र गुजार दी।
प्रश्न होगा कैसे ?
जवाब देखिये : -
" जिंदगी क्या है जानने के लिए,
जिंदा रहना बहुत जरूरी है
आज तक कोई रहा तो नही --गुलज़ार
" जिंदगी क्या है जानने के लिए,
जिंदा रहना बहुत जरूरी है
आज तक कोई रहा तो नही --गुलज़ार
अब हमारी कारस्तानी, हमारा अंदाज़ पेशे-खिदमत हैं , गुल्ज़ेरिया हुआ है हमको .....ईलाज बताएं।
१.
रात के चाँद ने सूरज की रोशनी सोख ली,
अब तमाम बरस चांदनी सूरज से रोशन होगी,
अच्छा कारोबार हुआ है आज।
( सदी के सबसे लम्बे सूर्य- ग्रहण के लिए लिखी थी ये )
२.
साँझ के सांवले लाल-पीले आसमां पर ,
बादलों के घूंघट से चाँद झांकता है जब
क्या गलत है जो मुझे नींद नहीं आती
३.
जिंदगी के कैनवास पर कुछ रंग भर लेने दो ,
सुकूँ से कुछ पल अपनी मर्ज़ी से जी लेने दो ,
सुना है इस बजट में रंग महेंगे हुए हैं
४.
आकाश में तारों को किसने सिया है इस तरह,
एक कारीगर ने उन्हें करघे से बुनना चाहा,
इस हंसी ख्वाब को कल कौडी में बेचेगा वो।
५.
गुलाब की इज्जत आज बरखा ने तार- तार कर दी,
बेशर्म कोचिया गुलाब के हालात पर मुस्कुरा रहा है
अब तो बाग़ से इंसानियत की बू आती है
६.
बुजुर्ग घडीसाज़ ने पुरानी घडी दुरस्त कर दी,
वक़्त के साथ चलने लगी है अब,
कांसे के बर्तनों का फैशन फिर से आएगा ।
७.
खुले बालों को तौलिये से मत झिटका करो,
पूरा तौलिया गीला हो जाता है ,
एक चिंगारी से गोदाम में आग लगी थी इस दीवाली
८.
ये उन दिनों की बात है जब किताबे पढ़ा करते थे ,
जुबा से लज्ज़त ले सफ़हे पलटना याद है न ,
बोरोसिल की केतली में वो नुक्कड़ की चाय का स्वाद नहीं।
९.
कल हिचकी आई तो सोचा उसने याद किया होगा,
कुछ पल उसको याद कर मुस्कुरा लेंगे, तड़प लेंगे,
इस मुए फ़ोन ने नजदीकियों के नाम पर ठग लिया हमको।
१०।
एक वक्त था जब पायल की झंकार से सुबह होती थी,
और बुजुर्गवार की खांसी से रात ,
अब एरोबिक्स के म्यूजिक से नींद टूट जाया करती है
इस बार काफी कुछ बोला हमने....मिलते रहेंगे...आप भी आते-जाते रहिएगा .....ये नेट का जंजाल तो आबाद रहेगा
" प्रिया "
रात के चाँद ने सूरज की रोशनी सोख ली,
अब तमाम बरस चांदनी सूरज से रोशन होगी,
अच्छा कारोबार हुआ है आज।
( सदी के सबसे लम्बे सूर्य- ग्रहण के लिए लिखी थी ये )
२.
साँझ के सांवले लाल-पीले आसमां पर ,
बादलों के घूंघट से चाँद झांकता है जब
क्या गलत है जो मुझे नींद नहीं आती
३.
जिंदगी के कैनवास पर कुछ रंग भर लेने दो ,
सुकूँ से कुछ पल अपनी मर्ज़ी से जी लेने दो ,
सुना है इस बजट में रंग महेंगे हुए हैं
४.
आकाश में तारों को किसने सिया है इस तरह,
एक कारीगर ने उन्हें करघे से बुनना चाहा,
इस हंसी ख्वाब को कल कौडी में बेचेगा वो।
५.
गुलाब की इज्जत आज बरखा ने तार- तार कर दी,
बेशर्म कोचिया गुलाब के हालात पर मुस्कुरा रहा है
अब तो बाग़ से इंसानियत की बू आती है
६.
बुजुर्ग घडीसाज़ ने पुरानी घडी दुरस्त कर दी,
वक़्त के साथ चलने लगी है अब,
कांसे के बर्तनों का फैशन फिर से आएगा ।
७.
खुले बालों को तौलिये से मत झिटका करो,
पूरा तौलिया गीला हो जाता है ,
एक चिंगारी से गोदाम में आग लगी थी इस दीवाली
८.
ये उन दिनों की बात है जब किताबे पढ़ा करते थे ,
जुबा से लज्ज़त ले सफ़हे पलटना याद है न ,
बोरोसिल की केतली में वो नुक्कड़ की चाय का स्वाद नहीं।
९.
कल हिचकी आई तो सोचा उसने याद किया होगा,
कुछ पल उसको याद कर मुस्कुरा लेंगे, तड़प लेंगे,
इस मुए फ़ोन ने नजदीकियों के नाम पर ठग लिया हमको।
१०।
एक वक्त था जब पायल की झंकार से सुबह होती थी,
और बुजुर्गवार की खांसी से रात ,
अब एरोबिक्स के म्यूजिक से नींद टूट जाया करती है
कुछ अजब- गज़ब किया हमने.....मोहब्बत से शुरू हो ...त्रिवेणी पर ख़त्म......रब ही राखे मैनू.....साडा कुछ नी हो संक्या.......अब तो ये लगे हैं हमें के ये मोहब्बत त्रिवेणी टाइप चीज़ ही होती हैं। ये त्रिवेणी बहुत पहले लिखे थे .....ये नहीं जानते थे कि ऐसे पेश करेंगे .......लाइफ में कुछ भी प्लान्ड नहीं ........अब देखिये ना शुरू किये मोहब्बत से लटक गए गुलज़ार साब पर और गिरे त्रिवेणी पर।
आजकल अक्षर नज़र नहीं मिलाते
कन्नी काट कर निकल जाते हैं
जैसे एक- दूजे को देख रास्ता बदलते हम-तुम
कन्नी काट कर निकल जाते हैं
जैसे एक- दूजे को देख रास्ता बदलते हम-तुम
इस बार काफी कुछ बोला हमने....मिलते रहेंगे...आप भी आते-जाते रहिएगा .....ये नेट का जंजाल तो आबाद रहेगा
" प्रिया "