Tuesday, December 5, 2017

चक्रवात के बाद




तकरीबन पांच  साल से कुछ  लिखा नहीं और ढाई साल से कुछ सोचा नहीं ,जीना जरूरी है या जीवन ये शायद कुछ लोगों के लिए एक गंभीर प्रश्न हो सकता है और मेरे लिए एक शोर से ज्यादा  कुछ  नहीं जिस पर गौर किया जाये. खुद को खो चूका इंसान अपनी तलाश करें भी तो कैसे?   खुद को खुद से तलाशना क्या वाकई मुश्किल है?  .......सादगी या साधारण होना स्वयं में मुश्किल हो सकता है नहीं भी। .... पहले मैं खुद को साधारण मानती थी पर अब नहीं। जीवन के कुछ प्रॉस्पेक्ट में हम सब साधारण होते है और कुछ में विपरीत। .......

जब निरंतर तेज हवाए चल रही हों तब हवा कि गति एक समय विशेष  उपरांत औसत या साधारण ही मानी जानी चाहिये। ऐसा ही होता है मौसमों में होने वाले बदलाव शुरू -शुरू में अखरते है...फिर अनुकूलन का नियम लागू हो जाता है.बात रह जाती है तो सिर्फ इतनी कि आप किस मौसम को दिल से कितना स्वीकारते हैं. ....लोगों की मौसमों की अपनी अपनी चॉइस होती है। ......... लेकिन चॉइस के अनुसार जीवन के मौसम सभी को नहीं मिलते। ...... कुछ लोगों को अपनी कन्वेनिएन्स से मौसम बनाने की सहूलियतें ज़िंदगी देती है... ये क्रिएटेड मौसम ज़िंदगी में नमक के लेवल को मेन्टेन नहीं कर पाते ऐसा मेरा मानना। .. बंदा  खुद को निर्माता समझकर ही खुश रहता है। .... दरअसल ऐसे इम्तिहान के बाद रिजल्ट अनडिक्लेयर्ड होता है

कभी सोचा नहीं था लिखना यूँ छूटेगा हमसे ...  जो छूटा है.. तो पकड़ा नहीं जाता। ... उनदिनों लगता था कि मेरी रूह बसती है मेरी लेखनी में। ... जो कलम साथ दें तो एक उपन्यास तैयार किया जा सकता है.... गुज़रे वक़्त पर लेकिन मुझे अँधेरा पसंद नहीं।।।। वक़्त बहुत ताकतवर होता है इतना कि रूह को जिस्म से अलग कर दें...  तस्वीरें कुछ इस  तरह से टुकड़ा टुकड़ा है की उनको संजो कर करीने से जोड़ना और एक शक्ल देना--- दर्द के अथाह समंदर में बार बार मरते हुए एक टुकड़ा ज़िंदगी को पाने की उम्मीद रखते हुए खुद को किनारे लगाना है।

किनारे पर आ भी गए गए तो इस सच को कोई कैसे झुठलाए कि जो पार किया था वो समंदर था और पानी खरा। ...... खारे पानी से प्यास किसकी बुझी है आजतक ?  पर कितना अजीब है न.. समंदर का एक विचित्र संसार है। लाखों ज़िंदगियाँ पनपती है उसमें  उस रंगहीन नमकीन पानी में बेपनाह खूबसूरत जीव... रंगो से भरपूर अपनी अपनी विशिस्टताओं के साथ...... इतना पसंद की जाती है ये खरे पानी की दुनिया की नेशनल जियोग्राफिक , डिस्कवरी और एनिमल प्लेनेट वाले अपने शोधकर्ताओं के साथ जूझते है जानने के लिए समंदर के खारे  पानी और इसमें जीने  वाले जीवो के जीवन के लिए खुद के जीवन का भी लगते है दांव। .. तलाशते है मरीन लाइफ के रहस्य , होता है मरीन इन्स्योरेन्स


कवि , शायर टाइप लोग कहते है कि आँखों में समंदर होता है... और आसुओ का स्वाद .... मैं एग्री करती हूँ खारे स्वाद की बात से। .. बहुत बार टेस्ट किया है मैंने।।।। लिखते लिखते ही मुझे इस बात का एहसास हुआ है की जब खारे पानी की दुनिया इतनी इंटरेस्टिंग होती है हमारे अंदर रोमांच पैदा करती है और कौतुहल भी तो फिर आँसुओ कि दुनिया न सही कहानी हो सकती है। ... ज़िंदगी के ग्रे शेड्स किसी को नहीं होते पसंद। ..लेकिन जीना पड़ता है। मुझे ग्रे कलर पसंद नहीं अगर मजबूरी  में चुनना भी पड़े तो मैं  सिल्वर के साथ कॉम्बिनेशन बनाऊंगी। ....

अरे! मैंने शुरुवात की थी मौसम से। .... शुष्क मौसमों में आँधियों का वजूद होता है और आंधी का गुबार चक्रवात  लाता है। ..  चक्रवात घुमावदार संरचना के साथ कुछ ख़ास रंगो को रखता है साथ  अपने, जैसे पीला मटमैला, भूरा और ग्रे। जिनलोगों ने चक्रवात देखा है। .. महसूस किया है वो जानते है चक्रवात के व्यवहार और रंगो को। .. और सहमत होंगे मेरी इस बात से की चक्रवात में फंसे इंसान को सिल्वर लाइन दिखाई देती है। . कभीकभी इसे बिजली चमकना भी कहते है।

तो मैं कोशिश करूंगी .....  करने की बात..... खारे पानी की,काले - भूरे -ग्रे रंग की....हालाँकि ये रंग जा चुके है मेरी ज़िंदगी से..... पर बीते रंगों की दास्तान तो होती है।... साथ साथ वो कहानियां एहसास और तजुर्बे भी होंगे.... जिन पर मर्जी बे मर्जी रंग भरा जा रहा

 मेरे ब्लॉग पर सालोँ बाद की ये आमद मुबारक हो मुझको :-)






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