दिमाग में अजीब सी हलचल है .....मजाल है जों एक पल के लिए शांत हो... जाने क्या क्या सोचता रहता है हरदम ........अगड़म-बगड़म, ऊँट-पटांग, सही-गलत, एक आंधी सी चलती रहती है हर पल ......सुना है हर आंधी सिर्फ धूल और गर्त लाती है .... हम भी ऐसा सोचते थे पहले, जब तक नई आँधियों ने खुद को इंट्रोड्यूस नहीं किया था, आप लोग ना करो विश्वास लेकिन बात है सच्ची .... आंधियां लड़कियों जैसे बक-बक भी करती हैं और लडको जैसा सोचती भी हैं......मतलब ब्यूटी, बोल्डनेस, हार्डनेस, सोफ्टनेस और दबंगई का कॉम्बिनेशन होती है ........ऐसी आँधियों को हमने नाम दिया है "बहारा"
मतलब....आने से जिसके आये बहार :-) जैसे हरियाला सावन औ फुहारों वाली हवा ....तो हुई ना बहारा....जैसे मन यूँ ही मुस्कुराए, बुखार में दवाइयां टेस्टी लगे...... जैसे गर्म सूप पीने से मुहं जल भी जाए लेकिन मोबाईल पर किसी विशेष ट्रिंग-ट्रिंग से मुहं में वेर्चुअल आइसक्रीम आ जाए .......विश्वास करो मेरा कुछ आँधियों में ऐसे एहसास होना आम बात है ........आँधियों में फूल भले ना खिलते हो लेकिन यकीनन किसी ना किसी के पास तो पहुचते हैं ...कुछ के बालों में यूँ ही टक जाया करते हैं ...तो कभी दुपट्टे से लिपट जाया करते हैं .....लोग तो जान भी नहीं पाते के कुछ पुन्ने-पुन्ने, नन्हे मुन्ने जींस और शर्ट की जेबों में भी छुप जाया करते :-) कुछ टुकड़े -टुकड़े हो बदन में उलझ जाया करते हैं .कुछ सडको, सीढ़ियों, गैलरियों , खिडकियों, छतों और भी जाने कहाँ कहाँ बिखर जाते हो,,,,,सबकी अपनी-अपनी किस्मत. अपना नसीब .......कौन जाने कौन सी आँधी क्या क्या लाए ..सुना तो ये भी है की आँधियों के भी प्रकार होते हैं .....लाल आँधी, काली आँधी और पीली आँधी... इसे फिजिकल या विजिबल आंधी भी कह सकते हैं.....लेकिन भावनात्मक आँधियों के बहाव की तीव्रता को मापने का पैमाना कोई नहीं...वो तो मन की गति से चलती है...जीवन की लहरों पर......दुआ करती हूँ मन की आंधियां कभी उदास ना हो....फिलहाल तो मन का मौसम खुश है तो अंदर की आंधियां है - स्मार्ट आंधी, ब्यूटीफुल चार्मिंग और बिंदास आंधी ......सो अबकी बार आँधी आए ना तो खिड़कियाँ दरवाजे मत बंद करना.....ये सोच कर की धूल धक्कड़ आएगे.......
जाने किसने आँधी की इमेज खराब कर रखी है सोसाइटी में .....हमेशा आँधी शब्द को नेगेटिव सेन्स में सोचा, समझा, माना, सुना और जाना जाता है ......जैसे आँधी ना हो गई,......कैकेई मंथरा और दुशासन हो गई ........आँधी ऐश्वर्या, दीपिका, रणवीर, ईद, दीवाली होली और गुलाबजामुन भी हो सकती है......आँधी खुसबू भी लेकर आती है और धानी रंग चुनर भी .....प्यार से देखो उसको तो सोंधा सा एहसास भी ....आत्मविश्वास से कही गई बात है मेरी......आप लोगों को लगेगा बकवासबाजी कर रही है लड़की .....महसूस करके ही बताती हूँ हर बात क्योंकि....... ऐसी ही एक बहारों वाली आंधी ने मेरी ओर भी किया है रुख ...पता है! हम क्या चाहते हैं के ऐसे खुश मिज़ाज और खूबसूरत आँधी हर इंसान की ज़िंदगी में आए.....ताकि आने वाले नस्ले आँधी के नये रूप को जान सके और .....वक़्त की करवट के साथ नकारात्मक सोच का टैग भी आँधियों के नसीब से गायब हो जाए......लोग आँधियों से डरे नही ......बल्कि प्यारा नज़रिया रखे.....और जमाना कह उठे .......हाँ आँधियों के सीनो में भी दिल होता है
Bahut Khubsurat !
ReplyDeleteये लड़की भी कमाल की है, हाथ को हवा में लहराती है..... मुट्ठी बंद करती है....फिर कीबोर्ड पर मुट्ठी खोल कर सब कुछ बिखेर देती है .....और एक बयार सी बहने लगती है..... इस बयार में पहली वारिश में मिट्टी से उठती नाजुक सी ...शर्मीली सी....सोंधी सी ....खुशबू भी रहती है. जी हाँ ! सोंधी,नाज़ुक और शर्मीली सी....
ReplyDeleteक्यों, खुशबू नाज़ुक और शर्मीली नहीं हो सकती क्या ? अजी माटी की खुशबू तो इतनी नाज़ुक और शर्मीली होती है कि पहली वारिश के बाद छुई-मुई होकर पता नहीं कहाँ छिप जाती है.
छोडिये, मैं प्रिया की बात कर रहा था, आज तो उसने और भी कमाल किया......अपने माथे को सहलाया फिर कीबोर्ड को उन्हीं अँगुलियों से छू दिया...बस चल पड़ी एक आंधी .......फूलों को उडाती हुयी ...इधर-उधर बिखराती हुयी .....सच्ची ....... आंधियाँ भी खूबसूरत होती हैं ...बस पहचानने भर की देर है.
एक बात और बताता हूँ आपको, ये आंधियाँ ही हैं जो हमें बहुत कुछ देती है...इतना कुछ ....कि समेट कर रखने के लिए भी जगह कम पड़ जाती है कभी-कभी तो. .....
अजी उन आँधियों की बात छोडिये जो केवल धूल और कूड़ा-करकट लाती हैं ...मैं तो उन आँधियों की बात कर रहा हूँ जो अपने पंखों पर चाँद-सितारे और फूल टाँक कर लाती हैं....
प्रेम और दुनिया की सारी वैज्ञानिक रिसर्च .....ऐसी ही आंधियाँ ले कर आती हैं. हाँ-हाँ ! पूछ कर देखो न ! किसी भी वैज्ञानिक से पूछ कर देखो ...नहीं तो किसी रीतिकाल के कवि की आत्मा से पूछ कर देखो.......
लो जी ! आये हैं तो कह भी दिया ...अब यह मत कहिएगा कि इतना कहने को किसने बोला था.
waaaaaaaaaaaaaah aapki aandhi dekhke sachhhii me kisi hava ke seene me utaarne ka man ho rha hai ......:):):):)
ReplyDeletekya baat hai priya jee....dil khush ho gaya!
ReplyDeleteबहुत ही अच्छी पोस्ट-
ReplyDelete---
कल 21/10/2011 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!
‘मानिटर’ भी महक उठा, मानो बन उपवन
ReplyDeleteमन मयूर बन झूमता, पढ़ सुन्दर लेखन.
सुन्दर लेखन.. सादर बधाई...
वाह ...बहुत बढि़या ।
ReplyDeleteबहुत अच्छा।
ReplyDeleteसार्थक तथा सामयिक प्रस्तुति , आभार.
ReplyDeletewaahhhh..........bahut khub
ReplyDeleteमैं दिनेश पारीक आज पहली बार आपके ब्लॉग पे आया हु और आज ही मुझे अफ़सोस करना पद रहा है की मैं पहले क्यूँ नहीं आया पर शायद ये तो इश्वर की लीला है उसने तो समय सीमा निधारित की होगी
ReplyDeleteबात यहाँ मैं आपके ब्लॉग की कर रहा हु पर मेरे समझ से परे है की कहा तक इस का विमोचन कर सकू क्यूँ की इसके लिए तो मुझे बहुत दिनों तक लिखना पड़ेगा जो संभव नहीं है हा बार बार आपके ब्लॉग पे पतिकिर्या ही संभव है
अति सूंदर और उतने सुन्दर से अपने लिखा और सजाया है बस आपसे गुजारिश है की आप मेरे ब्लॉग पे भी आये और मेरे ब्लॉग के सदशय बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद
दिनेश पारीक
मैं दिनेश पारीक आज पहली बार आपके ब्लॉग पे आया हु और आज ही मुझे अफ़सोस करना पड़ रहा है की मैं पहले क्यूँ नहीं आया पर शायद ये तो इश्वर की लीला है उसने तो समय सीमा निधारित की होगी
ReplyDeleteबात यहाँ मैं आपके ब्लॉग की कर रहा हु पर मेरे समझ से परे है की कहा तक इस का विमोचन कर सकू क्यूँ की इसके लिए तो मुझे बहुत दिनों तक लिखना पड़ेगा जो संभव नहीं है हा बार बार आपके ब्लॉग पे पतिकिर्या ही संभव है
अति सूंदर और उतने सुन्दर से अपने लिखा और सजाया है बस आपसे गुजारिश है की आप मेरे ब्लॉग पे भी आये और मेरे ब्लॉग के सदशय बने और अपने विचारो से अवगत करवाए
धन्यवाद
दिनेश पारीक
kya baat hai aandhi ke bilkul naye roop se avgat karwaya aapne...bahut accha laga aandhi ka ye roop
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा लिखती है आप ......पसंद आई ये पोस्ट......आप ने तो आँधियों के प्रति नजरिया ही बदल दिया .....पहली बार आई इस ब्लॉग पर,ख़ुशी हुई यहाँ आकर .......
ReplyDeleteबहुत ही सटीक और भावपूर्ण रचना। धन्यवाद।
ReplyDeleteमन की मनचली बहारा की खूबसूरत अभिव्यक्ति
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