Saturday, April 23, 2011

मन की बात,जों लफ्ज़ ना बनी

जब कभी तुम्हारी कोई बात अच्छी लगती है....दिल चाहता है कह दूं के तुमसे प्यार है ,लेकिन फिर सोचती हूँ तुम ऑदरवाइज लोगे....वैसा वाला प्यार नहीं ...वो वाला प्यार जों किसी की भी प्यारी बात सुन आपको प्यार करने के लिए मजबूर कर दें......जैसे कोई कुछ पल के लिए आपकी रूह को छू लें .....हमें  बहुत बुरा लगता है जब प्यार जेंडर में बंध जाता है ....इसका ये मतलब ना निकला जाए के हम होमो सेक्सुअलिटी का समर्थन कर रहे हैं.....हमारा उन बातों से  कोई कंसर्न नहीं .....

हमें ना तुम पर बहुत गुस्सा भी आता है जब तुम मेरी बक बक सुनकर भी रेअक्ट नहीं करते ......अजीब इंसान हो...लाइलाज मुद्दों पर बहस करते हो...ढंग के कामो में तो जरा भी मन नहीं लगता तुम्हारा ...       सच में फुर्सत से बनाया है खुदा ने तुम्हे..... और बना कर वो सांचा भी तोड़ दिया ....ताकि तुम्हारे जैसा कोई दूसरा पीस ना निकले.....खैर! हमें क्या .... हमको आदत है बोलने की .....पूरी बातें कहने की ,चाहे कोई सुने ना सुने .....हम तो बोलेंगे और वैसे भी आजकल थोडा तो कम ही बोलने लगे हैं


वो पिछली बार कसम खाई थी ....अब तुमसे बात नहीं करेंगे....लेकिन फिर वही तुमने जरा सा कुछ कह दिया और हम शुरू हो गए नोन-स्टॉप....मेरे गुस्से की तो पूछो ही मत .....जब गुस्सा आता है तो जी चाहता है के खींच के दो-चार चपाट रसीद कर दूं.....या फिर खाने में ढेर सारी मिर्च खिला दूं. या फिर गाडी ठोंक दूं ...लेकिन उससे क्या होगा ...आफ्टरआल वो तकलीफ भी हमें ही सहनी पड़ेगी...और गिल्ट फीलिंग का शिकार होंगे, वो  अलग |


पता  है ! तुम्हारी समझदारी की बातें सुनकर कभी तुम हमें अपने पापा जैसे लगते हो, और जब बुद्धू जैसे हरकते करते हो तो कोई छोटे बच्चे जैसे.....और जब ज्यादा इंटेलिजेंट बनने की  कोशिश  करते  हो  तो  भईया जैसे ...जब डिस्कशन, फन  या  सिरियस - नोर्मल बात करते हो तो दोस्त जैसे ....मेरे मन में तुम्हारे लिए प्यार भी है, गुस्सा भी है,सम्मान भी है लेकिन माइंड इट इसमें लवर्स  के जैसे  कोई लक्षण नहीं है ....सो खुशफहमी नहीं होनी चाहिए ...वैसे तुम सारे सहज व्यवहारों में भी असहज क्यों हो जाते हो? और हाँ! ये उलटे -सीधे मतलब निकलने की तो बहुत बुरी आदत है तुम में...आगे भी बताते रहेंगे...अभी थोड़ी जल्दी है सो निकलते हैं:-)    तुम सोचो- सोचो :-)