मैं तुम्हे कोई तोहफा देना चाहती हूँ. वो जों दुनिया जहान में मुझे सबसे प्यारा हो, निराला हो अद्भुत हो, मुझसे ऐसा जुड़ा हो जैसे हवा और साँसे, नदी और किनारे, गृह-नक्षत्र और बारह रशिया, समंदर और शार्क, बर्फ और ख़ामोशी, तुम-हम और हम तुम ......अब तुम्ही को तुम्हे दूँगी तो अच्छा तो ना लगेगा ना ...भला ये भी कोई भेट हुई......कोई बाजारू आइटम ... वो तो कोई भी किसी को भी दे सकता है....कल मार्केट में कोई नया ब्रांड आएगा और वो पुराने गिफ्ट आइटम को किक कर नए रैपर में गुरूर से सटक जायेगा...तो क्या दूं ? कोई ऐसी भेट जों अनमोल हो, मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक रूप से सिर्फ मेरी....जिस से सिर्फ सिर्फ और सिर्फ मेरी रूह झलकती हो .....
अरे हाँ! मिल गया तोहफा तुम्हारे लिए ....जानते हो! जब मै लिखती हूँ तो मै, मै कहाँ रहती हूँ ....ना जाने कितने किरदार समां जाते है मुझमे....मैं लफ्ज़- लफ्ज़ जीती हूँ, हर्फ़ हो जाती हूँ,अल्फाज़ गिरते जाते है...चुनती जाती हूँ उन्हें दामन में....चोट ना लगे, दर्द ना हो तो इस वास्ते अलग -अलग मूड का मलहम लगाती हूँ ...और क्या बताऊँ.....एटीट्युड का इंजेक्शन भी ठोका है मैंने ..... ये सब कैसे होता है मुझे नहीं पता....ये मेरे सारी नज्मे उन क्षणों की उपलब्धि है जब मैं खुद में नहीं रहती .....अमूर्त हो जाती हूँ, कितनी बार तो मैंने तुमसे कहा है कि मेरे अन्दर सैकड़ो लोग रहते हैं....इसीलिए मैं जिन्दा हूँ... मुझे नहीं पता किस मानसिक अवस्था में मै ये सारी बातें कह रही हूँ....लेकिन जब जब मैं इन किरदारों को जीती हूँ तो लगता है मै शुचिता हूँ गंगा सी नहीं...इंसान सी या स्त्री सी भी कह सकते हो ....मै चाह कर भी अपने अन्दर से इन लोगों को नहीं निकाल पाती...इनका मेरे साथ रूह का रिश्ता है ...शगुफ्ता दिखती हूँ इनके खातिर....एक बात बताऊँ....तुम खुद को भी पाओगे इनमें....बेइरादा ही सही ....लेकिन तुमको भी जिया है मैंने
तो लो ये पुलिंदा मेरी कच्ची, अधकच्ची, पक्की, झुलसी, सिमटी, शरमाई, सकुचाई, अल्हड़, लड़कपन, जवान, बुजुर्ग, हंसती, गाती, सोई- जागी सी तहरीरो का....अब ज्यादा बखान ना होगा मुझसे.
यही मेरे जीवन भर की पूँजी है ....तुम्हे मेरा ये तोहफा तो कुबूल होगा ना...तुम चाहो तो जला सकते हो, एक-एक नज़्म, रचना, मेरे किरदार. फिर उसकी राख को डिबिया में रख बच्चो को काला टीका लगाना, ताकि फिर बच सकें नज्में बुरी नज़रों से और जन्म ले सकें नई नज्में .
तुम जों अभी तक मुझे मिले ही नहीं....इंतज़ार कर रही हूँ कबसे...मेरी जीवन-यात्रा में आने वाले मेरे मुख्य किरदार मैं तुमसे ये सब कहना चाहती हूँ . तुम सब कुछ करना पर लिखने के लिए कभी मत टोकना .....मैं चाहूँ तो जन्मो ना लिखूं, मै चाहूं तो हर सांस लिखूं....
एक ख़ूबसूरत बयान,
ReplyDeleteएक ईमानदार बयान भी,
जिसमें ’तुम्हारे’ सभी रंग हैं,
उदासी, ख़ुशी, जज़्बात और एहसास के !
क्या इस बयान से बढ़कर कोई और तोहफ़ा
कोई हो भी सकता है ?
जिसे भी आप देंगी प्रिया जी बड़ा ख़ुशक़िस्मत होगा वो ।
(यहाँ ’तुम्हारे’ का प्रयोग सिर्फ़ कविता /नज़्म/बयान के
परिप्रेक्ष्य में है, कृपया ध्यान दें !)
सादर,
क्योंकि कुछ टिप्पणिया सोच के नए आयाम देती है....बस यूँ न जाइए...
ReplyDeleteतो लीजिये सरकार आपको सोचने के लिये एक नया आयाम दिये जाते हैं... ज़रा सोच के बताइए... जो उसने लिखने के लिये टोका तो क्या करोगी ? :)
बेहतरीन लेखन......बधाई।
ReplyDeleteaapka tohfa jaroor kabool kiya jayega :)
ReplyDeleteaafareen!!
ReplyDeletedil chu gayi yah rachna
ReplyDeleteखूबसूरत प्रस्तुति...बधाई.
ReplyDelete. वसंत पंचमी पर ढेर सारी बधाई !!
_______________________
'पाखी की दुनिया' में भी तो वसंत आया..
बेहतरीन लेखन......बधाई।
ReplyDeleteBehad behatareen.. sach kahu to aapne mujhe bhi sujhaya h k m khud ko kya tohfa du.... shukriya :)
ReplyDeleteआप लड़कियां जब ऐसे लिखती हो और बेहतर हो जाती हो.
ReplyDeleteप्रिया जी.... लड़कियों का हर रूप....रंग....ढंग..... तो नहीं देखा...... लेकिन जितना देखा....सुना....समझा वो अधूरा ही होगा.... आपने जिस तरह से, शब्दों का जो ताना-बाना बुना है... वो निराला ही नहीं बेजोड़ है.... स्त्री रूप का परिचायक है। बहुत पसंद आया .... पढ़कर लगा कि उस वक्त जब आपने इसे लिखा होगा... एक संपूर्ण नारी भाव आपके मन में हिलोरें ले रहा होगा.... सच... मुच...! आप लिखना न...बंद.... करें....लिखती रहें....!
ReplyDeleteYours is a good blog.
ReplyDeleteखूबसूरत तहरीरों की
ReplyDeleteखुशनुमा सौगात
किसी भी ज़िंदा इंसान के लिए
सब से क़ीमती सरमाया हो सकता है ....
आपकी रचना से ये सब ज़ाहिर है !!
अभिवादन .
बेहतरीन लेख|धन्यवाद|
ReplyDeletewah bahut khubsurat khayal,
ReplyDelete"Heer Ji" ke blogg par aapki tipaddi padhi .
dil ne kaha akhir ye hai kaun itnae sh-shakt vicharo ki dhani . chal ek blogg dekha jaye.. aane par pata chala ye to apna hi ghar hai .. purana reader hu (jiwan ke rang meri tulik ke sang ka) Badhai swikare.
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
ReplyDeleteबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/
बहुत ही सुन्दर लिखा है अपने इस मैं कमी निकलना मेरे बस की बात नहीं है क्यों की मैं तो खुद १ नया ब्लोगर हु
ReplyDeleteबहुत दिनों से मैं ब्लॉग पे आया हु और फिर इसका मुझे खामियाजा भी भुगतना पड़ा क्यों की जब मैं खुद किसी के ब्लॉग पे नहीं गया तो दुसरे बंधू क्यों आयें गे इस के लिए मैं आप सब भाइयो और बहनों से माफ़ी मागता हु मेरे नहीं आने की भी १ वजह ये रही थी की ३१ मार्च के कुछ काम में में व्यस्त होने की वजह से नहीं आ पाया
पर मैने अपने ब्लॉग पे बहुत सायरी पोस्ट पे पहले ही कर दी थी लेकिन आप भाइयो का सहयोग नहीं मिल पाने की वजह से मैं थोरा दुखी जरुर हुआ हु
धन्यवाद्
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
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दिल से लिखी गयी तहरीर ...अच्छी लगी
ReplyDeleteप्रिया जी दिल को छू गयी आपकी तहरीर्……………
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत रचना ....
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